Hindi funny story : एक युवा नेता की कहानी

आज हम आपको hindi funny story बताएंगे जो कि एक युवा नेता के बारे में बताएंगे।

जब मैंने देखा कि फेसबुक पर युवा नेता,छात्र नेता जैसे नाम लिखकर थर्ड क्लास आदमी भी 700 लाइक्स और 150 कमेंट पा लेता है।तब मैंने भी ठाना की अब मैं भी नेता बनूँगा।दिमाग थोड़ा सा 100-150 मीटर तक चला तब लगा कि युवा नेता,छात्र नेता लिखकर अगर लोग लाइक्स हज़ारों में ले जाते है तो अगर सचमुच का प्योर नेता बनूँगा तो लाइक्स घोटालों में आये पैसों की तरह अनगिनत हो जायेंगे।
इसी सोच के साथ एक दिन सज धजकर पास वाले से कुर्ते पायजामे और जूते मांगकर सीधा एक पार्टी के कार्यालय पहुँचा।


वहां देखा कि मेरे स्वागत के लिए आया ही नहीं,जो वहां थे वह भी मुझे इग्नोर कर रहे थे।मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचनी शुरू ही हुए थी कि फेसबुक पर एक स्टेटस की लाइनें याद आ गयी ‘टेम टेम की बात है प्रधान जका अबार देख’र इग्नोर करे ना बे ही एक दिन साहब साहब करसी’।
यह याद आते ही ठेस की जगह भविष्य में रुतबे वाला अहंकार जगा।सोचा वडनगर में चाय लेने वाले को भी कहाँ पता था कि यह प्रधानमंत्री बनेगा।अपने से बड़े आदमी की तुलना खुद से करने का सुकून प्राप्त करके मैं सीधा दफ्तर में घुसा।

Photo – internet


वहां एक आदमी से मिला और औपचारिकताओं के बारे में पूछने लगा।उसने सुना पर प्रतिउत्तर नहीं दिया।दो तीन बार ऐसा किया तब जाकर कहा कि उस आदमी के पास जाकर फॉर्म भरो।


मैं उस फॉर्म वाले के पास गया,उससे संक्षेप में अपना औचित्य बताया और फिर पूछा कि उस भाईसाहब को कम सुनाई देता है क्या?


उसने कहा कि वह तुम्हारा मार्गदर्शन कर रहे थे,तुम्हें सीखा रहे थे कि कोई बोले तो बहरे हो जाओ,तीन चार बार बोले तो हुँ.. करो फिर जाकर काम।तुम यहाँ आफिस में हो तो उत्तर दे दिया वरना वो तो सुनते ही नहीं है।तुम्हें इसी तरह की चीजों को ऑब्ज़र्व करना पड़ेगा।राजनीति में इशारों का,चुप्पी का मतलब गहरा होता है।


‘ऐसे मार्गदर्शक मिलेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब मैं भी बड़ा नेता बनूँगा'(मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे)।
तब वो भाई साहब बोले तुम्हें किस तरह का राजनेता बनना है।


‘इनकी भी नस्लें होती है क्या?जो किस टाइप का पूछ रहे है’।मैं अचरज से भरा हुआ बोला।
“हां,यहां जमीनी नेता,लोकप्रिय नेता,जनप्रिय नेता,किसान हितैषी,दलित हितैषी, युवा दिलों की धड़कन वाले नेता,जनसेवक नेता,पूंजीपतियों के नेता,सर्वसाधारण के नेता,36 कौम के नेता,साधारण कार्यकर्ता,सेवाभावी नेता जैसी नस्लें होती है।

हमारे जिले में 36 कौम के नेता वाली पूँजीपतियों के नेता वाली और दलित हितैषी नेता वाली पोस्टें खाली नहीं है।अगर आप किसी में भी आना जाना चाहते है तो आपको साधारण कार्यकर्ता वाली पोस्ट में फॉर्म लगा दो फिर आप जहां चाहे उस नस्ल में आ जा सकते है।लेकिन एक में भरी तो आप इधर उधर पाला नहीं बदल सकते,यह राजनीति के सिद्धांतों के खिलाफ होगा,तो बोलिये किस तरह के नेता बनना चाहेंगे!
‘अच्छा,सबमें जो क्वालिटी चाहिए वो बताइये फिर फैसला करूँगा।’


“तो अगर आप जमीनी स्तर या जमीन से जुड़े नेता बनते है तो आपके दो शर्तें में से कोई एक चाहियेगी।
अच्छा तो बताइए,आपके पास खेत कितने बीघा है?
“50 बीघा है सा,वो भी दो भाइयों में आधा आधा होना है।
“नहीं,ऐसे तो मामला सेट नहीं है।चलो छोड़ो तो कितनेक मर्डर किया है आपने।”
“मर्डर आदमियों की तो छोड़ो चींटी कभी हाथ से मर जाये तो भी दस मिनट राम नाम लेकर पश्चाताप करता हूँ।”एकदम ऐसे प्रश्न सुनकर मैं तो सकपका गया।
“तो आप जमीन से जुड़े नेता नहीं बन सकते।क्योकि इसके लिए आपके पास हज़ार बीघा जमीन होनी चाहिए,कब्जाई हुई अवैध या फिर 7-8 जनों को मारकर जमीन में गाड़े हुए होने चाहिए।दोनों हो तो सोने पर सुहागा।मर्डर के पुलिस चार्जशीट की कॉपी या अखबार में छपी होने पर ही मर्डर मान्य माना जायेगा।और जमीन के लिये एक गवाह की जरूरत है।”
“अच्छा यह तो नहीं चलेगा,लोकप्रिय नेता के लिए लोकप्रिय होना पड़ेगा,इसका क्या सिस्टम है।”उत्सुकता हिचकोले खा रही थी।
“अगर आप इस नस्ल के होना चाहते हो तो हम आपको लोकप्रिय करेंगे।कहीं भी जुलूस,प्रदर्शन,दंगा करवाना हो तो आपको आगे रखेंगे।आप यह बताओ भाषण दे सकते हो भड़काऊ?”


“नहीं जो,मैं तो कवि हूँ।प्रेम,सद्भाव,सौहार्द की बातें करनी आती है यह भड़काऊ और दंगे तो नहीं होंगे।”
अरे!..वो चौंककर बोले।
‘ये तो आपमें कमी हो गयी।अगर हम नेता ही मन में सद्भाव सौहार्द जैसे भाव रखेंगे तो राजनीति कितनेक दिन चलेगी,यह बातें बाहर से कहो तो ठीक,अंदर है तो आपकी कमी है सुधारनी पड़ेगी।


यह तो आप सुधार लेना,बाकी इस तरह आपको लोकप्रिय करेंगे,जल्दी लोकप्रिय होना चाहते हो तो एकाध दंगे,प्रदर्शन करवा देंगे बस थोड़ी हाथ की खुजली मिटानी पड़ेगी।समझ रहे हो ना…


“जी,पर वो और भी तो थे बाकी के बारे में।”मैं आतुरता जीते हुए नेता की संपति की तरह बढ़ती ही जा रही थी।
“अगर जनप्रिय होना हो तो आपके पास पैसे होने चाहिए।पैसे से हम वो कार्यकर्ता आपके आस पास लाएंगे जो आपसे प्यार करेंगे।आपके नाम की टोपी पहनेंगे,टैटू बनाएंगे,बेटे का नाम आप पर रखेंगे,आपको अगर कुछ हो तो वह मीडिया वालों को बुलाकर तेजाब से जलने या आत्महत्या करने जैसी बातें करेंगे।आपका राजनीति में कुछ हो जाये तो सरकार को खून भरा खत भी लिखेंगे पर इसके लिए टोमेटो सॉस या लाल स्याही का खर्चा आपके घर से लगेगा।खैर,जितने ज्यादा आप पैसा और उन पर खर्चा करोगे उतना ही ज्यादा प्यार वो करेंगे।किसान हितैषी बनने के लिए आपको किसानों को सड़क पर लाकरो हल्ला करवाना है या उनसे हमदर्दी जतानी पड़ेगी और खबरदार जो उनका भला कर दिया तो अगली पीढ़ी में भी तो किसान नेता होना चाहिए..अगर आपने उनका भला किया तो पार्टी आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करेगी आपके टिकट नहीं देगी या दरकिनार कर देगी।


दलित हितैषी होने के लिए आपको ऊँची जात वालों के खिलाफ दलितों से दुश्मनी बरक़रार रखनी पड़ेगी।आप दलितों में जितना ज्यादा जहर भरेंगे उतने ही बड़े दलित नेता आप कहलायेंगे।
अद्भुत नस्लें है सभी।


है ना,अब देखिये कि युवा दिलों की धड़कन वाला नेता युवाओं की रोजगार देने की गारंटी देकर उनका दिल बहलाता है,जिससे वह आत्महत्या नहीं करते,उनकी धड़कन जिंदा रहती है और वो नेता युवा दिलों की धड़कन का पद पा लेता है या फिर युवाओं को जवानी दिखाने का कहकर उनको बहकाता है,नारे लगवाता है।इसी काबिलियत का नेता युवा दिलों की धड़कन वाला नेता होता है।
वाह गजब और बाकी वाले…।


जनसेवक नेता जनता से सेवा करवाता है।वह बारम्बार लोगों से माला पहनता है,शादी ब्याह में जाकर खातिरदारी करवाता है।दुकानों के उदघाटन फीता काटकर करवाता है।एक अमीर बनिये को पकड़कर उसके पैसों से गरीबों में कम्बल दान करवाता है सबसे महत्वपूर्ण वह सांत्वना देकर आम आदमी को दिलासा देता है,जिससे उसमें आशा जगती है और नो टेंशन हो जाता है,इस तरह का नेता जनसेवक नेता होता है।
36कौम का नेता बनने के लिए 36 कौम को लड़वाना पड़ता है।एक पहुंचा हुआ,अव्वल दर्जे का 36 क़ौम का नेता वही है जिसके रहते उसके इलाके में कभी भी 36 कौमें एक साथ नहीं रह पाती।हमेशा तनातनी भरी रहती है।
वाह,अप्रतिम…।अब कार्यकर्ता और सेवाभावी का बता भी बताइये।


कार्यकर्ता की खासियत यह होती है कि वह किसी भी पोस्ट में जा सकता है,सभी नेता बड़े होने पर यही कहते है कि हम कार्यकर्ता थे,इसका सीधा सा मतलब है कि उन्होंने कोई विशेष नस्ल नहीं चुनी जो हाथ आया वो चोला ही पहन लिया।इनके सेटिंग बड़ी रहती है क्योंकि पार्टी का सारा काम यही करते है।
“बढ़िया है और सेवाभावी का मतलब तो जनता की सेवा का भाव रखने वाला ही होता है ना!”
हां, सही पकड़े है दरअसल वो सेवा करने में भाव खाते है,आसानी से काम नहीं करते इसलि ये सेवाभावी नेता।हमने सेवाभावी नेताओं की ऐसी नस्लें भी देखी है जोसिर्फ सेवा का भाव ही रखते है,करते कुछ भी नहीं है।फिर मूड होने पर यह भाव अपने चमचों में भर देते है और वो बिचौलिया बनकर काम करवाने वालों से कमीशन लेकर उनका काम कर देते है,इस तरह वह आम जन और लोकतंत्र की सेवा करते है।
यह सब तो हो गया अब बताइये आपका फॉर्म किसमें भरूं!
मेरे में तो यह एक भी गुण नहीं है,मैं तो सीधा साधा आदमी हूँ सा..भले मिनख हो आप ही बताओ।
अच्छा तो बताइए खूबियां क्या है आपमें?
मुझे देश को सुधारने की ललक है,जोश है।
तो यह तो आपमें कमी है!ऐसी गंदी सोच रखकर आप राजनीति को मैला कर रहे है।हमें ऐसे देशसेवा वाले कार्यकर्ताओं की कोई जरूरत नहीं है,दफ़ा हो जाओ यहां से..बड़ी आये सेवा वाले।

ज्योहीं यह सुना हम राम राम करके विदा ले आये।हम उनकी तकलीफ समझ रहे थे।अब 70 साल से एक ही शब्द सेवा कोई सुने तो आदमी गुस्सा तो होगा ही।आजकल के 10वीं-12वीं में पढ़ने वाले बच्चों को भी पढ़ाई करने का कहे तो चिड़ते है,यह तो नेता है।जिस काम से नफरत हो वो काम करने को कहे तो शाबासी कौन देगा।अस्तु,उसी दिन से सोच लिया कुछ भी बन जाएंगे पर नेता नहीं…।

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