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CAA CAA क्या है ? और क्यों मुस्लिम इसका इतना विरोध कर रहे है ?

मोदी सरकार द्वारा CAA लागू कर दिया गया है।सरकार द्वारा कल CAA का नोटिफिकेशन जारी हुआ।जिसके बाद चारों तरफ बवाल मचा हुआ है। कई लोग इसके विरोध में तो कई लोग इसके समर्थन में आ रहे है।

मोदी सरकार ने सबसे पहले CAA bill  में लाया गया था जिसके बाद काफी धरना प्रदर्शन हुए थे और कई महीनों तक दिल्ली बंद रही थी।

विदेशों में भी इस बिल को लेकर सरकार को काफी घेरा गया था और सरकार को बैकफुट पर लाने के लिए अंतराष्ट्रीय दबाव बनाए गए थे।

अब आइए जानते है CAA है क्या और क्यों इसका इसका विरोध और समर्थन दोनों जोरों शोरों से हो रहा है।

CAA क्या है ?

CAA का पूरा रूप citizen ammendment act है जिसे हिंदी में नागरिकता संशोधन कानून कहा जाता है। यह 11 दिसंबर 2019 को संसद में लाया गया था।

इसके लिए पूरे देश में विशेषकर शाहीन बाग में काफी धरना प्रदर्शन चला था।इसे खूब कवरेज मिली थीं।

कोरोना के कारण सरकार ने इसे एक बारगी प्राथमिकता से अलग कर दिया परंतु अब यह फिर से इस पर काम कर रही है और इसे लागू किया है

यह पूरे देश में लागू करने की तैयारी कर रही है और फिर से इसे विपक्ष और सरकार दोनों चुनावी मुद्दा बनाकर वोटर्स के सामने जाने वाले है।

CAA किसलिए है ?

CAA मूलत: पाकिस्तान,बांग्लादेश जैसे देशों के अल्पसंख्यक लोगों जैसे हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, ईसाई,जैन धर्म के लोगों को यहां आकर बसने और उन्हें नागरिकता देने का प्रावधान करता है।

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सरकार का पक्ष

गौरतलब है कि ऐसे देशों में अल्पसंख्यक लोगों के साथ भेदभाव बहुत ज्यादा होता है।पाकिस्तान ,बांग्लादेश में हिंदू जनसंख्या नगण्य रह गई है।

वहां अल्पसंख्यकों को अपने मूलभूत अधिकारों के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। इसलिए सरकार ने उन्हें यहां आकर बसने की स्वीकृति देने के लिए यह कानून लाया है।

हकीकत और प्रश्न ?

बात एक हद तक सही भी है क्योंकि काफी समय से वहां इस तरह के अत्याचार बहुत आम बात हो गई है।

पिछले सालों में इस तरह की स्थिति के बारे में संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई थी।

वहां कहा जाता है कि जो हिंदू, बौद्ध, सिक्ख, ईसाई समुदाय 30 % से ज्यादा था आज मात्र 2 प्रतिशत ही रह गया है।

ऐसे में सरकार का कहना है कि हिंदू जैन बौद्ध सिक्ख समुदाय के लिए ऐसे राष्ट्र नहीं है जो उन्हें स्वीकारें।

केवल भारत ही उनका मूल राष्ट्र है और वो अत्याचार और उत्पीड़न के बाद यहां नहीं आयेंगे तो कहां जायेंगे।

इसलिए सरकार ने इन्हें शरण देने का फैसला किया है।

 

सकारात्मक प्रतिक्रिया

हिंदू समुदाय तथा अन्य समुदाय इसका स्वागत कर रहे है और बताते है कि भारत हमेशा से ऐसे लोगों की जो पीड़ित और अत्याचार से ग्रस्त है उनकी शरणस्थली रही है और ये समुदाय जो विभाजन के बाद वहीं रह गए थे।P

परंतु आज उन्हें उनके मूल अधिकारों से भी वंचित किया जा रहा है तो हमें आगे आकर उनका सहयोग करना चाहिए।

मानवाधिकारों की बात करने वाले तमाम लोगों द्वारा भी इसका समर्थन किया जा रहा है।

नकारात्मक प्रतिक्रिया

सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रतिक्रिया विपक्ष और मुस्लिम संप्रदाय की तरफ से आ रही है।

विपक्ष का आरोप है कि CAA मुस्लिम विरोधी है और यह मुस्लिमों को दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह पेश करता है।

मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों द्वारा इसे मुस्लिम विरोधी काला कानून बताया जा रहा है।

लोग यह आरोप लगा रहे है कि इसमें मुस्लिमों का जिक्र क्यों नहीं है,पीड़ित तो वो भी है।J

जबकि सरकार का कहना है कि जिन देशों के शरणार्थियों को हम बसा रहे है वह असल में मुस्लिम देश ही है।तो अपने देश में अपने नागरिकों को क्या ही समस्या होगी? पंरतु अल्पसंख्यकों के अधिकार खतरे में है,इसलिए पनाह दे रहे है।

दूसरा आरोप यह लग रहा है कि इससे देश के मुस्लिमों को बाहर भेजा जाएगा जबकि इसमें इस देश के नागरिकों को लेकर कोई भी प्रावधान नहीं है।

उनकी असली चिंता NRC को लेकर है जो देश में रह रहे अवैध प्रवासियों की जांच करेगा और जो नहीं पाया जाएगा,उसे देश से निर्वासित किया जाएगा।

सरकार ने अभी इस बारे में पूरा बताया नहीं है पंरतु इससे मुस्लिम समुदाय में काफी भय और गलतफहमी जा रही है।

अब देखना होगा, कि आगे ये सब समुदाय क्या फैसला करते है।

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