बांग्लादेश में अभी माहौल बहुत चिंताजनक है। अभी हाल ही में पिछले कुछ समय से हो रहे आंदोलन के बाद बांग्लादेश की हालत और अधिक बिगड़ती ही जा रही है।अब बांग्लादेश पूरी तरह से सेना के कब्जे में है। इस देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वहां से भागकर भारत आ चुकी है और इंग्लैंड जाने की कोशिश में है। वहीं शेख हसीना सरकार ने इस्तीफा दे दिया है और अब स्थिति पूरी तरह से सेना के नियंत्रण में है।
बांग्लादेश में आंदोलन का कारण
बताया जा रहा है कि बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर छात्रों में आक्रोश है।
हुआ यह है कि 1971 के बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में जिन भी सैनिकों ने भाग लिया था,उन्हें सरकार की तरफ से 30% आरक्षण दिया गया था।
चूंकि 1971 को काफी समय हो चुका है तो बीच में यह आरक्षण खत्म कर दिया गया था पर शेख हसीना सरकार ने इस आरक्षण को पुन: लागू कर दिया जिससे आक्रोश फैला।
इसकी अगुआई नदीम इस्लाम नाम का एक छात्र कर रहा है।
अब जब काफी आंदोलन हुए और सरकार पर दवाब पड़ा और मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो सरकार ने कहा कि अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते।
फिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया कि सरकार इसे वापिस लें पर सरकार आनाकानी कर रही थी तो छात्र उग्र आंदोलन करने लगे।
जिससे शेख हसीना सरकार ने पुलिस और फौज का प्रयोग किया और आंदोलनकारियों को वहां से खदेड़ दिया इससे आक्रोश और बढ़ गया।
आंदोलनकारियों पर की गई हिंसा से पूरे विश्व में सरकार की छवि खराब हो रही थी।
ऐसे समय में शेख हसीना ने व्हाट्सएप ट्विटर यूट्यूब इत्यादि सब पर बैन लगा दिया।
फ्रीडम ऑफ स्पीच पर किया गया यह आक्रमण से आम जनता भी अब इसमें शामिल हो गई।
अब इन्होंने संसद पर आगजनी की और वहां हमला करने लगे।
इसके घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से समझते है –
14 जुलाई
शेख हसीना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यदि स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे पोतों को आरक्षण नहीं मिलेगा तो किन्हें मिला रजाकारों के बेटे पोतों को?
दरअसल रजाकार उन्हें कहा जाता है जिन्होंने 1971 में पाकिस्तान का साथ दिया था ना कि बांग्लादेश समर्थकों को।
15 जुलाई
ढाका विश्वविद्यालय में छात्रों की झड़प हुई।इस घटना में 300 लोग घायल हो गए।
अब आंदोलन और उग्र होने लगा।
16 जुलाई
आंदोलन और तीव्र होने लगा ढाका चटगांव के सभी स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए।
फिर 19 जुलाई को आंदोलन और तीव्र हुआ उसमे 66 लोगों की मृत्यु हो गई।
21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के हित में फैसला दिया और आरक्षण मात्र 7% कर दिया।
23 जुलाई को सरकार ने परिपत्र दिया पर प्रदर्शनकारियों ने ठुकरा दिया।
25 जुलाई को शेख हसीना पहली बार सामने आई।
वहीं 4 अगस्त को और बड़ी हिंसा हुई जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए।सब जगह कर्फ्यू लगा दिया।
अब 5 अगस्त को शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया।
अब के हालात
बांग्लादेश पूरी तरह सेना के नियंत्रण में है।नोबल पुरस्कार विजेता यूसुफ को नया प्रधानमंत्री बनाने की कवायद की जा रही है।
राष्ट्रपति और सेना प्रमुख ने अंतरिम सरकार बनाने की घोषणा की है।
वहीं शेख हसीना अब भारत आ चुकी है।
वह हिंडन एयरपोर्ट पर रुकी है।
ज्ञात हो कि आंदोलनकारियों ने शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मात्र 45 मिनट दिए थे।
वो राष्ट्र के नाम संदेश देना चाहती थी पर उन्हें में देने दिया गया।
भारत के लिए क्या?
अराजकता बढ़ने से भारत के भी मुश्किलें बढ़ेंगी।
बांग्लादेशी सेना या अंतरिम सरकार चीन या पाकिस्तान के समर्थन में जाने के पूरे आसार है।
इससे सीमाओं पर भारत के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है।
नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
और अब देखना दिलचस्प होगा कि भारत आगे क्या करता है।
वहीं शेख हसीना को लाने के लिए अजीत डोभाल गए थे।
वो हेलीकॉप्टर से यहां आई थी।
मैं अशोक चौधरी एक ब्लॉगर, बिजनेसमैन और infotainguys का फाउंडर हूं। यहां तमाम तरह की खबरें आपको मिलेगी तो इसे सब्सक्राइब कर लेवें
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Ye to hona hi tha
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